जीवन की ऊंची नीची डगर पर चलते कभी कभी ऐसा मोड़ आ जाता है जहाँ इन्सान बेबस सा हो जाता है | सामने मुश्किलों का पहाड़ नजर आता है और इन्सान समझ भी नहीं पाता क्या करे | कभी लंबी बीमारी और कभी अचानक हुई दुर्घटना और दुखी कर देती है | चाहे इसके पीछे कोई तंत्र प्रयोग हो या कोई ग्रह बाधा | हर इन्सान चाहता है वह इन सभी से बाहर निकले, पर कैसे ? सवाल हमेशा बना रहता है | यह सवाल हर मानस में जन्म ले लेता है | अगर सवाल ना हो तो उत्तर भी नहीं होगा | सवाल होगा तो उसका उतर होगा | सद्गुरुदेव कहते हैं “हर सवाल का उत्तर समय के गर्भ में होता है” | सवाल भी समय के गर्भ से ही जन्म लेता है | जब समय आता है उसका स्वयं उत्तर भी मिल जाता है, लेकिन जो काल की गति पकड़ ले वो काल ज्ञानी होता है, जो उस सवाल का जबाब दे देता है | इस संसार में गुरु से बड़ा काल ज्ञानी एक शिष्य के लिए और कोई नहीं होता क्योंकि गुरु उसकी हर जिज्ञाशा का समाधान देते हैं | समय समय ऐसे साधना तथ्य सामने आते हैं, जिसके पीछे गुरु इच्छा ही होती है, जो आपको ऐसे विधान मिल जाते हैं | क्योंकि गुरु समर्थ होते हैं और इच्छा से ही शिष्य के लिए नई सृष्टि रच देते हैं | अब यह बात आप पर निर्भर करती है कि आप उसका लाभ लेते हो या नहीं | गुरु का कार्य कभी नहीं रुकता | वह हमेशा शिष्य की बेहतरी के लिए होता रहता है |
काफी समय पहले घर पर किसी ने तंत्र कर दिया था | उस वक़्त हम गुरु जी से भी नहीं जुड़े थे | एक काली सी औरत जो काला घाघरा पहने आकर कभी कभी दबा देती थी | सभी उन्नति के रास्ते रुक गए थे | मैं तब 14 वर्ष का था तभी मैंने अपने पिता से कहा, एक ऐसी चीज जो दिखाई देती है, सभी काम उसका ख़राब किया हुआ है तो पिता जी ने एक मन्त्र बताया और कहा कि जब कभी भय लगे इसका जाप कर लिया करो | एक रात लेटा था | वह चीज फिर आ गई, बहुत भयानक थी | शायद मोहनी, मसानी हो या कुछ और | मैंने उसी मन्त्र का जाप शुरू कर दिया और देखते ही देखते वह भाग गई | फिर एक रात वह फिर से आ गई | मुझे साफ दिखाई दे रही थी | छोटा भाई बहुत जिद करने लगा और रोने लगा उस रात | जब मैं सोया वह चीज मेरे स्वप्न में मुझे देख कर छुप रही थी | मेरे हाथ में एक तेज छुरा था | मैंने उसे पकड़ लिया और वह सुलेमानी मंत्र पढ़ उस पर छुरा चला दिया | वह मेरे हाथों से ही हवा हो गई, फिर कभी नजर नहीं आई क्योंकि वह चीज का जादू कट गया था |
फिर एक दिन जब हम दीक्षित हुए | उसके काफी समय बाद मेरे एक दोस्त के हाथ में टयूमर सा उठ गया | डाक्टर के कहने से आपरेशन करा दिया मगर समय पाकर फिर उठ गया | वो मुझे मिला, कहने लगा कि अब फिर आपरेशन कराना पड़ेगा | मैंने उसे यही मन्त्र बता दिया और जप करने को कहा | उसने तीसरे दिन बताया कि मैं जप कर के सो गया | रात्रि को ऐसा लगा कि मैं अपने शरीर से बाहर निकल गया हूँ | दरवाजा खोलने लगा तो इतने जोर से कुण्डी छूते ही झटका लगा, वापिस बिस्तर पर गिर गया और एक दम आंख खुल गई | ऐसा मैं समझता हूँ इसलिए हुआ कि वो रूह जब शरीर छोड़ कर कहीं भी जा सकती थी जिससे नुकसान भी हो सकता था | मगर सुलेमानी कील की वजह से वो दरवाजा पार ना कर सकी | क्योंकि बिजली सा करंट होता है इससे समस्त वातावरण में | मैंने मस्तों की संगत से यह जाना है कि सुलेमानी ईल्म में जो मेन शक्ति काम करती है वह जो बिजली की एलक्ट्रिक पावर है वह कार्य करती है | जब उसने दुसरे दिन हाथ देखा ट्यूमर गायब था और फिर कभी नहीं हुआ |
यह ऐसा मन्त्र है जो बाहर से ना किसी गलत एनर्जी को आने देता है, ना भीतर की पोजीटिव एनर्जी बाहर जाने देता है | सारा वातावरण बिजली की एलक्ट्रिक शक्ति से सुरक्षा के घेरे में आ जाता है | आज इसलिए यहाँ दे रहा हूँ मैं समझता हूँ कि आज के समय में ऐसे मंत्रो की जरूरत सबसे ज्यादा है | सभी को सुरक्षा चाहिए |
सुलेमानी रक्षा प्रयोग
विधि
इसकी विधि सामान्य है | इसे 11 दिन में कर सकते हैं | शाम के वक़्त नीचे आसन लगा लें | एक दिया तेल का जगा लें, अगर घर में ना जगा सको तो अगरबत्ती लगा लें, नहीं तो किसी नदी पर जाकर दीपदान कर दें और घर आकर प्रयोग शुरू कर सकते हैं या किसी मुसलमानी दरगाह पर चिराग कर सकते हैं या वहाँ चिराग में तेल ड़ाल कर आ सकते हैं | पास ज्यादा कुछ रखने की जरूरत नहीं | साधना पूर्ण होने के बाद पीला प्रशाद बेसन या लड्डू बाँट दें और किसी दरगाह पर एक हरे रंग की चादर चढ़ा दें | इसका इस्तेमाल कभी भी कहीं भी कर सकते हैं |
साबर मंत्र
|| बिस्मिलाह आयतुल कुर्सी कक्ष कुरान ,
आगे पीछे तू रहमान ,
धड राखे खुदा सिर राखे सुलेमान ||
इस मन्त्र का एक माला या 101 बार जप बिना माला के कर लें | 11 दिन करना है | बहुत ही पावर फुल है यह और साधना पूर्ण होने पर प्रशाद जरुर बाँट दें |
नागेंद्रानंद