सद्गुरु ब्रह्म तत्व साधना – Sadguru Brahm Tatva Sadhna


ब्रह्म तत्व पर जितना लिखा जाए कम है | हजारों ग्रंथ रचे गए इस तत्व पर, परन्तु पारब्रह्म की व्याख्या करना संभव नहीं क्योंकि प्रत्येक व्याख्यान हमेशा अधूरा ही रहता है | मनुष्य शरीर पंच तत्वों से निर्मित है और देवता तीन तत्वों से बने हैं,  इसलिए मनुष्य देवताओं से श्रेष्ट माना जाता है | क्योंकि देवता को मनुष्य अपनी भावना से प्रत्यक्ष कर लेता है और उन्हें वरदान देने पर विवश कर देता है | जब आप किसी देव तत्व का चिंतन करते हैं तो शरीर में कुछ क्रियाएं स्वतः उदघटित हो जाती हैं और आप उस देवतत्व से एकीकरण कर लेते हैं , तत्पश्चात उस देव तत्व का दर्शन होने लगता है | यह तब होता है जब आपके शरीर में दो तत्व और मिल जाते हैं | सदगुरु तत्व और सत्य तत्व | गुरु दीक्षा लेने से आप सदगुरु तत्व से मिल जाते हैं और सत्य तत्व है नाम जो गुरु मंत्र देते हैं | इस तरह दो और तत्व जुडने से शक्ति से सामंजस्य होता है और आप श्रेष्ठ श्रेणी में खड़े हो जाते हैं ! इन दो तत्वों से ही शरीर के भीतर सातों शरीर क्रियाशील हो जाते हैं और साधक ब्रह्म तत्व की ओर बढ़ जाता है ! मगर ब्रह्म से साक्षात्कार सहज नहीं है | यह क्रिया ब्रह्म ऋषि के तप समान होती है और बिना गुरुकृपा के संभव नहीं | इसलिए साधक को गुरु साधनाएं करनी चाहिए |

 ब्रह्म ऋषि सूर्य की किरण होता है और ब्रह्म स्वयं सूर्य | जब साधक ब्रह्म तत्व को प्राप्त कर लेता है तो ब्रह्म ऋषि की श्रेणी में आ जाता है, फिर उसके लिए कोई भी साधना कठिन नहीं रहती | देव को पाने के लिए ज्यादा प्रयत्न नहीं  करना पड़ता है ! उसके एक आह्वान पर ही देवता को आना पड़ता है, और जिससे भी जो कहता है उसे पूरा करना पड़ता है ! शरीर में अंतर में अनेक ब्रह्माण्ड हैं !  उनको भेदना भी हर एक के वश में नहीं होता ! एक ब्रह्मांड ऐसा है जहां सभी मंत्र देव ध्वनि  के रूप में गूँजते हैं | शब्द का आकार अनंत  है | उसका विस्तार भी अनंत है , इसीलिए ब्रह्मवेत्ता उस ब्रह्मांड को भेदने में सक्षम होता है और उसे किसी भी साधना और सिद्धि के ज्ञान के लिए भटकने की जरूरत नहीं पड़ती , वह अंतर से ही सभी कुछ पा लेता है ! और उस लोक में अद्वितीय संतो से भेंट कर लेता है | ज्ञान का नया स्रोत खुल जाता है ! एक बार मेरे पास एक साधू आया | उसने कहा मेरी विद्या मुझे भूल गई है | जहां तक की मैं कोई पुस्तक भी नहीं पढ़ सकता | समस्या गंभीर थी तो मैंने उसे अपने पास रखा और सदगुरु जी से प्रार्थना  की और गुरु मंत्र का जप करते हुये कब अंतर ब्रह्मांड में ध्यान पहुँच गया पता ही नहीं चला और तेज सूर्य जैसा प्रकाश मेरे सामने था कुछ सुनहरी आभा लिए हुये एक खास ध्वनि आ रही थी | ध्यान से सुना तो एक मंत्र गूंज रहा था | जिससे वह प्रकाश अवतरित था और वहाँ का आनंद अकथनीय है | वहाँ न गर्मी का एहसास था, न सर्दी का और मन उसी में रमे जा रहा था | कब कितना टाइम हो गया फिर धीरे धीरे वापिस लौटा | उस साधू को मैंने उसे उस मंत्र को करने को कहा और आज वो एक श्रेष्ट संत पदवी पर है | उसे कई ग्रन्थ कंठस्थ  हैं ! महाभारत जैसा ग्रंथ पूरा याद है यहाँ तक की एक एक पात्र का नाम भी उसे याद है | कोई भी किताब देखने की उसे जरूरत नहीं | मैं जब उससे मिला तो उसने बताया एक बार यह मंत्र करते कब मेरा सूक्ष्म शरीर अलग हो कर एक परम संत के चरणों में पहुँच गया जो की नाम पर बैठे थे समाधि में थे | मैं उनके पास बैठ गया और वहाँ जब मैंने ध्यान दिया तो वह संत अंदर ही अंदर यह मंत्र जप रहे थे | जब वह उठे तो उन्होंने इस मंत्र की महिमा का व्याख्यान किया जो कि अनंत है और धीरे धीरे मुझे ज्ञान का स्वतः आभास होने लगा | मैं कोई पंचांग के बारे में नहीं जानता लेकिन पूरा पंचांग देख लेता हूँ और आनंद में रहता हूँ | धूना लगाता हूँ जब पूर्ण गर्मी होती है लेकिन गर्मी का एहसास नहीं होता | जल धारा तब करता हूँ जब पूर्ण सर्दी होती है लेकिन सर्दी का एहसास नहीं होता 

मेरा मानना है कि यह साधना किसी भी साधक की ज़िंदगी बदल सकती है | इसीलिए यह साधना लिख रहा हूँ ! यह सदगुरु तत्व की ही साधना है ! जब गुरु कृपा करते हैं तो गुरु शिष्य का हाथ पकड़ कर ब्रह्म तत्व से साक्षात्कार करा देते हैं , और वह उस सूर्य की किरण बन कर हमेशा चमकता रहता है ! ज्ञान का स्रोत उसके अंतस में स्वतः फूट पड़ता है ! बस विश्वास के साथ सदगुरु पूजन कर इस साधना को करें !

 विधि 

आप को बस सुखासन में बैठ कर एक घंटा मंत्र जप करना है | ध्यान दोनों भोहों के मध्य एकाग्र करना है | धीरे धीरे वहाँ एक प्रकाश ज्योत दिखाई देगी और आप अपने शरीर की गहराई में उतरते जायेंगे और फिर वहाँ एक त्रिकोण जो रेड रंग का होगा उसके बाद हल्के पीले रंग का एक आयताकार सा आकार दिखाई देगा, उससे जुडते ही आगे अनेक दृष्टांत आयेंगे जो लिखने संभव नहीं आप स्वयं देखें करके, और धीरे धीरे आप अपने अंतर ब्रह्माण्ड से जुड़ जायेंगे और उस ब्रह्माण्ड स्वरूप सदगुरु तत्व से साक्षात्कार कर अपना जीवन सवांर लेंगे ! इस मंत्र को कभी भी करें समय निर्धारित नहीं , फिर भी सुबह का समय उचित है और एक घंटा जाप करना है बिना माला के | आप इसे 21 दिन करें या आगे नियमित रखें , यह आपके ऊपर है ! यह साधना स्वतः ब्रह्म ज्ञान का बोध करा देती है | अगर माला से करना चाहते हैं तो स्फटिक माला लें और 11 माला 21 दिन करें ! सद्गुरु पूजन अनिवार्य है !

मंत्र

|| ॐ गुरु साक्षेभ्यो ब्रह्म तत्वाये नमः ||

|| Om Guru Saakshebhyo Brahm Tatwaaye Namah ||