कुबेर साधना जीवन का सौभाग्य माना जाता है | जब गुरु विशेष कृपा करते हैं तो शिष्य को कुबेर साधना जैसी साधना देकर उसका सोया भाग्य जगाते हैं | इस दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जो दिन रात मेहनत करते हैं, पत्थर तोड़ते हैं, दिन रात कार्य में जुटे रहते हैं फिर भी उनके जीवन में कोई ख़ास बदलाव नहीं आता | मगर साधक जब गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण कर देता है तो उसके भाग्य को जोकि अजगर की तरह सोया होता है, गुरु स्पर्श मात्र से ही जगा देते हैं और उसकी झोली में अमूल्य साधनाओं के मोती दाल देते हैं | जब भी वो गुरु के दिए ज्ञान रूपी खड़ग से अपने जीवन में आने वाली मुश्किलों पर प्रहार करता है तो मुश्किल जड़ से ही ख़त्म हो जाती है और इन साधनाओं से उसके जीवन का कायाकल्प हो जाता है और दरिद्रता उसके जीवन से कोसों दूर चली जाती है | यहाँ मैंने दरिद्रता शब्द का इस्तेमाल किया है, इसका मतलब सिर्फ गरीबी से नहीं है | दरिद्रता के कई रूप हैं जैसे आलस, बिमारी, जहमत, गरीबी तो है ही, इच्छाशक्ति की कमी और हीन भावना का शिकार होना, ऐसी बहुत सी बातें हैं जो आपको "श्री" से दूर रखती हैं और सम्पूर्णता नहीं आने देती | ये सब दरिद्रता के ही लक्षण हैं | साधक के जीवन में दरिद्रता हो, ये एक कलंक की तरह होता है जो उसे साधक की स्टेज तक जाने ही नहीं देता | "श्री" विहीन आम आदमी हो सकता है पर साधक नहीं अगर वो अपने गुरु के प्रति पूर्ण आस्तिक है | इसलिए साधक का जीवन श्रेष्ठ होता है | यही फर्क होता है एक आम आदमी और एक साधक में कि साधक अपना भाग्य गुरु के बताये रास्ते पर चलकर स्वयं लिखता है और आम आदमी किस्मत के सहारे बैठकर संतोष कर लेता है इसलिए जीवन में इतने संघर्ष करने के बाद भी वो जीवन में कोई ख़ास उन्नति नहीं ला पाता | जीवन की इन्ही दरिद्रता रुपी कमियों को दूर करते हैं श्री कुबेर जी के ये 9 रूप, बस जरूरत हैं इनपर आस्था रखने की | और मैंने जीवन में एक बात जानी है कि सच्चे दिल से की गई साधना कभी निष्फल नहीं होती इसलिए पूर्ण विश्वास के साथ ये साधनाएं करें और गुरु आज्ञा में रहते हुए अपने जीवन में आने वाली कमियों पर विजय पायें | यह साधना आप सभी के लाभ के लिए दी जा रही है | यह मंत्र पूर्ण प्रभाव रखते हैं और मैं इन्हें खुद भी करता हूँ इसलिए जो प्रभाव मैंने इन् मन्त्रों के महसूस किये उन्हें देखते हुए यह साधना आपके मध्य रख रहा हूँ |
कुबेर यन्त्र
कुबेर यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा एक जटिल क्रिया है | जो काफी श्रम साध्य तो है ही और उसपर व्यय भी काफी आ जाता है | यंत्र आप चाहें तो बाजार से ले लें, वो भी सही है | अगर ना मिले तो यह यन्त्र जोकि यहाँ दिया गया है, भोजपत्र पर बना लें | यन्त्र बनाते हुए
|| ॐ श्री कुबेराये शिव सखाये धन मूर्ते नमो नमः ||
मंत्र का मन में जप करते हुए निर्माण करें और यह यन्त्र भोजपत्र पर या कागज़ पर बना सकते हैं | याद रहे यह यन्त्र आपको सारी जिन्दगी काम आएगा इसलिए मेरी राय है कि इसका निर्माण भोजपत्र पर करना ठीक रहेगा और इसे अनार की कलम से किसी भी शुभ दिन अमृत काल में रवि पुष्य योग या त्रिपुष्कर योग या सिद्ध योग में निर्माण करें |
अगर आपके पास ताम्र पत्र पर यन्त्र है तो ठीक है | इसका निर्माण चांदी के पत्र पर सुनार से भी कराया जा सकता है | मुहूर्त उपयुक्त हो जो मैंने दिए हैं और अमृत काल में करना है | अब साधना शुरू करने से पहले गुरु पूजन और श्री गणेश पूजन संपन्न कर साधना के लिए आज्ञा लें | फिर यन्त्र का स्थापन किसी ताम्बे की प्लेट में कर जिस भी कुबेर मंत्र की साधना आप कर रहे हैं उसको पढ़ते हुए 108 बार कुमकुम मिश्रित अक्षत चढ़ाएं और एक लाल रंग का फूल और दूध का बना भोग समर्पित करें | एक नारियल भेंट दें | और इस तरह इस यन्त्र में प्राण उर्जा संचारित हो जाएगी | यह कर्म आप 9 कुबेर साधनाओं के पूजन के वक़्त कर सकते हैं | यह एक आसान तरीका है | इसके बाद आप इस यन्त्र को बताई हुई कुबेर साधना की विधि अनुसार प्रयोग कर सकते हैं | भोजपत्र वाले यन्त्र को लेमिनेट किया जा सकता है या उसे फ्रेम भी किया जा सकता है | आप इस यन्त्र को अष्टगंध से या चन्दन की स्याही से निर्मित कर सकते हैं |
ॐ