अग्नि बांधने और खोलने का अढाईआ मन्त्र

ये मन्त्र भी अपने आप में बहुत तीव्रता रखता है इसका लाभ जहाँ आग लगी हो उसे बांध देने से वो बुझ जाती है और फैलने से रुक जाती है | इसे कभी दुरूपयोग ना करें | इसका उत्कीलन भी साथ ही दे रहा हूँ | मतलब बांधने और खोलने का भी सिद्ध करें | इसकी भी जरूरत होती है | जब अग्नि पूरी तरह शांत हो जाये तो उसे खोल सकते हैं |

 

साधना विधि

इसको पानी के किनारे बैठकर करना है | किसी भी नदी पर जाकर कर सकते हैं | जब जप पूरा हो जाये तो उठते वक़्त २ लड्डू नदी में ड़ाल देने हैं | दोनों मंत्रो में विधि एक जैसी ही है |

जप 21 माला करना है माला कोई भी ले सकते हैं , फिर भी हकीक की या मुंगे की ठीक रहती है | 21 दिन की साधना है |

वस्त्र कोई भी पहन सकते हो |

 

साबर मन्त्र अग्नि बांधने का

ॐ नमो गुरु को आदेश

जलती बांधू बलती बांधू ,बांधू अगन स्वाई |

हनुमान का अर्का बांधू राम चन्द्र की दुहाई ||

 

 अग्नि खोलने का मन्त्र

ॐ नमो गुरुको आदेशजलती खोलू बलती खोलू ,खोलू अगन स्वाई  |हनुमान का अर्का खोलू राम चन्द्र की दुहाई ||

प्रयोग विधि 

जहां आग लगी हो कोई भी कंकर उठाकर 21 बार  मंत्र पढे और कंकर पर फूँक दें | उस कंकर को जलती अग्नि में फेक देने से अग्नि बुझ जाती है | इसका दूसरा तरीका यह है कि एक लोटा जल लें और उस पर  21 बार मंत्र पढ़ें और अग्नि की तरफ मुख कर बहा दें इससे भी अग्नि शांत हो जाती है | अग्नि खोलने के लिए कंकर पर 7 बार या 21 बार मंत्र पढ़कर दोबारा फ़ेंक दें इससे अग्नि खुल जाती है और उसके बाद दलिया बनाकर किसी नदी आदि पर दें या बच्चों को बाँट दें | दलिया देते वक़्त किसी पात्र में एक सुलगता हुआ उपला रखें और उस पर थोड़ा घी डाल कर पाँच बार दलिया डालें थोड़ा थोड़ा और धूप आदि लगाकर वरुण देव को नमस्कार करें और अग्नि देव से क्षमा प्रार्थना करें और आशीर्वाद लें |

नागेन्द्रानंद

ॐ